कोल्ड फ्यूज़न थ्योरी : विज्ञानियो ने ठंडा पानी डाल दिया :-
सूर्य के अगनगोले में हाइड्रोजन से हीलियम के कणो में ''हॉट फ्यूज़न ''(hot fussion) से बड़ी मात्रा में ऊर्जा बहार निकलती है। 1989 में स्टेंननी पोन्स और मार्टिन फ्लैशमैन ने ''कोल्ड फ्यूज़न '' का खयाल दिया। और सिर्फ आईडिया ही नहीं इसका एक्सपेरिमेंट में भी उनकी बात सच हे वैसा दावा किया।
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स्टेंननी पोन्स और मार्टिन फ्लैशमैन कोल्ड फ्यूज़न इंस्ट्रूमेंट के साथ साल 1989 |
''कोल्ड फ्यूज़न '' का मतलब है की सूर्य की भीतर जो ऊर्जा उत्त्पन्न करने की प्रक्रिया चल रही हे वो , घर में या प्रयोगशाला में ''रूम टेम्परेचर '' पर भी हो सकती है। ऐसा दावा इन विज्ञानियो ने किया था।
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कोल्ड फ़्यूजन इंस्ट्रूमेंट का डायग्राम |
कोल्ड फ़्यूजन का विचार इतना फैला की अमरीका की सरकार को रिव्यू पेनल बिठाकर तय करना पड़ा की सच क्या हे ?? TIME मैगज़ीन को भी ''कोल्ड फ्यूजन : इलुजन ''(cold fussion : illusion) के नाम से कवर स्टोरी लिखनी पडी। मूल वात यह थी की विज्ञानी ने परख लिया था की सामान्य रूम टेम्परेचर पर कोल्ड फ्यूजन आधारित, छोटे कद का टेबल टॉप नुक्लेअर रिएक्टर बना पाना संभव नहीं था।
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TIME मैगज़ीन का कवर पेज ''कोल्ड फ्यूजन : इलुजन ''(cold fussion : illusion) को देखाजा सकता हे |
विज्ञानी स्टेंननी पोन्स और मार्टिन फ्लैशमैन का यह प्रयोग रिपीट करने पर हर किसीको निष्फलता मिली है। विज्ञान ने पोन्स और मार्टिन फ्लैशमैन के यह ''कोल्ड फ्यूज़न '' : को गलत साबित किया है। परंतु , विज्ञानी ऊर्जा के नये स्त्रोत की जो रूम टेम्परेचर पर काम करेंगे उसपे आज भी संशोधन कर रहे है।
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लौ एनर्जी न्युक्लेअर रिएक्शन जिसमे कोल्ड फ़्यूजन और न्युक्लेअर रिएक्शनस का डिफरेन्स देखाजा सकता हे |
आज विज्ञानी अब ''कोल्ड फ्यूज़न '' को छोड़ क्र ''लौ एनर्जी रिएक्शन (low energy reaction)'' पर काम कर रहे है। और विज्ञानीओ ने यह बात का स्वीकार किया है की स्टेंननी पोन्स और मार्टिन फ्लैशमैन का प्रयोग ''कोल्ड'' जरूर था लेकिन उसमे ''फ़्यूजन'' नहीं होता था।
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