आइन्स्टाइन का ''स्टेटिक यूनिवर्स '' :-
विज्ञानिओ ने ''बिग गैंग'' थ्योरी का स्वीकार किया , उससे पहले ऐसी मान्यता थी की ''ब्रम्हांड का कद नही बदलता ब्रम्हांड अचल है '' ब्रम्हांड की यह विभावना का ''स्टेटिक यूनिवर्स '' के तोर पे स्वीकार किया गया था। जेसमे आइनस्टाइन जैसे सदी के महा नायको का भी समावेश होता है। स्टेटिक यूनिवर्स की एक लाक्षणिकता यह थी की ब्रम्हांड का कुल वोल्युम तय ही था। उसमे कोई बदलाव का कोई अवकाश नही था। और सरल भाषा में कहे तो यूनिवर्स एक क्लोज्ड (बंध) सिस्टम थी।
अल्बर्ट आइनस्टाइन |
इस थ्योरी की सबसे बड़े विड़म्बना तो यह थी की आइनस्टाइन इस प्रकार की थ्योरी का स्वीकार कर अपनी ''थ्योरी ऑफ़ जनरल रिलेटिविटी '' को दिया था। जिसमे खुदकी गिनतियों के अनरूप मिलने वाले तारणो के साथ तुलना के लिए अल्बर्ट आइनस्टाइन ने ''कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टेन्ट '' का सिद्धांत दिया था। ब्रम्हांड में सिर्फ गुरुत्वाकर्षण बल ही लगता होता तो , ब्रम्हांड का संकोचन हो जाना चाहिए। जिसको ''कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टेन्ट'' देकर आइनस्टाइन ने स्टेटिक बना दिया। अमरीकन खगोल विज्ञानी एडविन हबल ने उस वक्त ''निहारिका'' के तौर पे स्वीकार किया हुआ ब्रम्हांड की रचना की ''रेड शिफ्ट '' पैटर्न आइनस्टाइन को दिखा कर कहा की ''ब्रम्हांड का विस्तरण हो रहा हे '' फिर भी आइनस्टाइन अपनी बात पे डटे रहे थे।
आइनस्टाइन इमेज में दिख रहे हे कॉस्मोलोजिकल कॉन्स्टेन्ट के साथ |
1922 में रशियन विज्ञानी अलेक्ज़ेंडर फाइड़सा ने कहा था की ''आइनस्टाइन के समीकरण गतिशील ब्रम्हांड को लागु कर सकते हे '' 1927 में बेल्जियम के एक खगोल विज्ञानी ने खगोल विद्या के अवलोकनको और सापेक्षवाद के सिद्धान्त को लागु किया और साबित कर दिया के '' ब्रम्हांड का विस्तरण हो रहा हे ''.... फिर आइनस्टाइन ने स्वीकार किया की उनकी गलती हुई है।
आइनस्टाइन को हबल के साथ देखा जा सकता हे आइनस्टाइन टेलिस्कोप में देख रहे हे और जो हाथ में सिगार पकड़े हुए हे वह हबल हे |
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