ब्लेन्क स्लेट थ्योरी : अनुवांशिक लक्षण और जिनेटिक्स थ्योरी को गलत साबित किया है !!
मानवशास्त्र और फिलोसोफी की दुनिया की सबसे विवादास्पद थ्योरी यानिके ''ब्लैन्क स्लेट थ्योरी(BLACK SLATE THEORY)'' , जिसको हिंन्दी में खाली स्लेट का सिद्धांत भी कहा जा सकता है। जिसको टेकनिकल भाषा में ''ताबुला रासा / TABULA RASA'' भी कहते है। एक वाक्य में समझना हो तो यु कह सकतेहै की मनुष्य का जन्म होता हे तो व्यक्तित्व या अनुवांशिक लक्षण के नाम पे कोरी स्लेट या खाली स्लेट की तरह ही होता हे। प्रकृति या परिस्थिति के अनुभवो से उसका विकास होता है।
अरिस्टोटल |
अरिस्टोटल से लेकर आधुनिक ''सैन्ट थॉमस अकविनास'' और ''ज्होन लोक'' जैसे फिलोसोफर भी इस थ्योरी सच मानते थे। उसमे भी ''सिग्मोइड फ्रोइड'' जैसे मनोविज्ञानी ने कहा की ''बचपन के अनुभव जोकि अचेतन मनो-ताण के तौर पे संग्रह होता है '' जोकि व्यक्ति के विकास में बड़ा योगदान देता है। आज विज्ञान ने स्वीकार लिया हे की व्यक्ति के विकास में जैसे मानवीय पर्यावरण और व्यक्तिगत अनुभवो से मानव का व्यक्तित्व का विकास होता हे वैसे ही मनुष्य के विकास में अनुवांशिक लक्षण और जनीन बहोत ही महत्व का भाग होते है।
''ज्होन लोक'' |
''सिग्मोइड फ्रोइड'' |
मनुष्य के जन्म से पहले ही उसमे माँ-बाप के कोष संतान की ''ब्लू -प्रिंट''(BLUE PRINT) तय कर देते है। इसका अर्थ ले तो जन्म के समय बच्चा ब्लैन्क स्लेट की जैसा नही होता है। माता के गर्भ में भी बच्चे का दिमाग क्रियाशील होता है।
''ब्लैन्क स्लेट '' |
महाभारत जैसी कथा में भी ''अभिमन्यु'' ने युद्ध का शिक्षण भी गर्भवस्था के दौर में लिया था वेसा कहा जाता है। ''ब्लैन्क'' की जगह आज अब ''ब्लू प्रिन्ट '' ने ली है।
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