अपने जियोग्राफी के क्लास में या ऑफिस में टेबल पर पृथ्वी के गोले को देखा होगा। यह गोले पर पृथ्वी के हर देशका स्थान और विविध माहिती को दर्शाया हुआ है। और उसके धरि पर गुम सके वैसे थोड़ा टेढ़ा रखा होता है। पृथ्वी के यह गोले का बहुत ही अनोखा इतिहास है।
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पृथ्वीका सबसे प्राचीन गोले की फोटो , ईसवी 1492 में नूरेनबर्ग के मार्टिन वीहेन नामक खगोलशास्त्री ने लकड़ी और रेशे से गोले को बनाया था |
ईसवी पहले पहली सदी में ग्रीस और चीन में पथ्थर या लकड़ी का गोला बनाकर उनपर नक्शा बनाना उसवक्त के धर्मगुरु विज्ञान , भूगोल , गणित और खगोलविद्या को जानते थे। पृथ्वीका सबसे प्राचीन गोला ईसवी 1492 में नूरेनबर्ग के मार्टिन वीहेन नामक खगोलशास्त्री ने लकड़ी और रेशे से गोले को बनाया था , जो आज भी अस्तित्व में है।
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ईसवी 1543 में जर्मनी के कास्पर वोपेल ने धातु की गोल पट्टीओ के बिच रखा हुआ धातु का पृथ्वी का गोला बनाया था उसकी फोटो |
ईसवी 1543 में जर्मनी के कास्पर वोपेल ने धातु की गोल पट्टीओ के बिच रखा हुआ धातु का पृथ्वी का गोला बनाया था। और पृथ्वी के गोले के आसपास की धातु की पट्टिया ग्रहो की भृमण कक्षा दिखती है और यह गोला एक ही एक्सिस पर चारो और गुम सकता है। कॉपरनिकस और टोलोमी ने प्रस्तुत किये हुए ब्रम्हांड की कल्पना के मुताबिक बना हुआ यह गोला विश्वप्रसिद्ध है।
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"अर्था" |
धरी पर गुमने वाला दुनिया का सबसे बड़ा पृथ्वी का गोला अमरीका के मेइन शहर में रखा हुआ है। 2500 किलो वजनी इस गोले को वह "अर्था" कहते है।
41 फुट के व्यास वाले इस गोले की सतह पे तमाम देशो के महासमुद्रो को दर्शाया गया है। एल्युमीनियम की 6000 पाइप्स को जोड़कर बनाये गए इस गोले में 792 पेनल्स को बिठाकर गोल बनाया गया है।
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