चीन दक्षिण चीनी सागर की सतह से 3000 मीटर (10,000 FEET) निचे विशाल समुद्री प्रयोगशाला बनाने की योजना कर रहा है। यह परियोजना चिन की तेरहवीं पंच वर्षीय आर्थिक योजना (PLANNING) है , और यह देश की 100 विज्ञान और टेक्नोलॉजी की योजनाओ में 2 नंबर की प्राथमिकता वाली योजना है। इस परियोजना का उद्देश्य पानी मे से खनिजो को खोजने मे चीन की मदद करना है। ..... लेकिन इसमे सैन्य प्रयोजन भी हो सकती है।.......
चीन का फ्लैग |
लेकिन , अभि तो इस पल लोगो के लिये थोड़ी ही जानकारी उपलब्ध है।
चीन के विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा हाल में दी गयी प्रस्तुति(PRESENTATION) में बताया गया हे की यह क्षेत्र आगे बढ़ाने लायक होगा। चीन जहाज निर्माण उद्योग द्वारा गहरे समुद्र स्टेशन का नेतृत्व किया जाता है। इस बोर्ड पर एक दरजन चालक दल होगा जोकि लगभग एक महीने के लिए पानी के निचे रहेगा।
समुद्र में एक छोटी प्रयोगशाला को देखा जा सकता है। |
तो.. , यह कैसे सम्भव है ? खैर , सामान्य स्थान पे भूगर्भीय और तकनीकी चुनोतियो का सामना करना पड़ता है , जैसे की टायफूनो (TYPHOONS) की लगातार घटना। इस क्षेत्र में लगभग 125 बिलियन बैरल तेल और लगभग 500 खरब घन फुट प्राकृतिक गैस का अनुमान किया जाता है। चीन में पहले ही 2015 में अनुसंधान और विकास पर 1.42 ट्रिल्लिअन यूआन ($216 बिलियन ) खर्च किया था। इसलिए वे परियोजना में बड़ा निवेश कर रहे है।
समुद्र में एक छोटी प्रयोगशाला को देखा जा सकता है। |
विशेष रूप से , चीन ने पहलेभी यह साबित कर दिया था कि जब उन्होंने अपने सबमरीन जिआओलोंग (JIAOLONG) को 7 किलोमीटर (23,000 FOOT) हिन्द महासागर में उतरने के लिये भेजा था , और एक वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया था जिससे उनकी गहरी महत्वकांक्षा को जाना जा सकता है।
और सबसे दिलचस्ब बात यह हे की अमरीका और रुसी सबमरीन्स को ढूंढने में मदद करने वाले एक नेटवर्क " अंडरवॉटर ग्रेट वॉल प्रोजेक्ट (UNDERWATER GREAT WALL) " को भी प्रस्तावित किया गया है।
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