इन दिनोंमे लड़कियो👸 के लिए तो ठीक पुरुषों💆 को भी गोरा बनाने की बहुत साडी फरनेस क्रीम बजारोमे उपलब्ध है। कोई लुमिनो पेप्टाइड😥 का विज्ञापन देते है। तो कोई spf-15😥 का विज्ञापन देते है। और कई तो विज्ञापनों में नैनो पार्टिकल तक चले जाते है। 👀 !!
सूरज की धुप से चमड़ीकी रक्षा करने के लिए , हमारी चमड़ी खुद " मेलेनिन😇" को बनाती है , जिससे सूरज के नुकसानकारी अल्ट्रेविओलेट किरण हमारी चमड़ी की सतह से निचे न पहुचजाये। सूर्य के अल्ट्रावाओलेट (uv) किरण की बजह से चमड़ी का केन्सर होता है। अगर चमड़ी सूर्य प्रकाश में काली न हो तो इन्सान सामान्य प्राकृतिक रूप से गोरा ही रहेगा।
spf-15 , spf-30 ,spf-50 और उनका स्किन पे असर |
spf-15😥 को अगर स्किन पे लगाया जाय तो , हम 2 गंटे धुप में खड़े रह सकते है। पर अगर spf-15😥 को चमड़ी पर न लगाया जाय तो हम धुप में सिर्फ 10 मिनट खड़े रहेंगे तब भी हमारी चमड़ी पर जलन होने लगेगी😯😯।
मतलब की spf सूर्य के अल्ट्रावाओलेट (uv) किरण को हमारी चमड़ी में दाखिल होने से रोकता है। spf का मतलब होता हे "सन प्रोटेक्शन फेक्टर। (sun protection factor) " बाजार में spf-15 , spf-30 ,spf-50 वाली स्किन क्रीम मिलती है।
spf-15😥 , 93% प्रोटेक्शन मिलता है। यानिके 100 मेंसे 7 फोटोन चमड़ीके भीतर जाते है। SPF-30से , 97% रक्षण मिलता है। यानिके 100 मेंसे सिर्फ 3 फोटोन चमड़ीके भीतर जाते है। spf-50 से , 98% रक्षण मिलता है। इसलिए SPF-30 वली क्रीम का उपयोग करना ज्यादा उचित है। लेकिन SPF पानी और पसीने से धूल जाता है। इसलिए पानी में न धुले वैसी SPF प्रोडक्ट का उपयोग करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। पर CSE के रिपोर्ट के मुताबिक अगर उसमे मरक्यूरी हाजिर हो तो वह खराब चीज है। जिससे किडनी और स्किन पे डाग या चकते न होते हे , क्योकि मरक्यूरी न्यूरोटॉक्सिक होता है।
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