ब्रम्हांड रहस्यमय पदार्थ '' ईथर '' से भरा हुआ है : एकदम गलत !!
विज्ञानियो ने अपने अनुभव से बताया था की तरंगो को फैलने के लिए किसी न कीसी माध्यम की जरूरत होती है। आवाज या ध्वनि माध्यम की अनुपस्थति (absence) यानि की ''शुन्यावकाश'' में फैल नहीं सकते। ग्रीक लोगों को लगता था की , ब्रम्हांड में प्रकाश को फैलने के लिए माध्यम की जरूरत होती है। और यह माध्यम यानिकि ''अद्र्श्य '' पर ''प्रकाश (light)'' को प्रकाशित करने वाला माध्यम ''ईथर (ether)'' !! द्रश्यमान दुनिया को देखने के लिए प्रकाश अनिवार्य है।
ब्रम्हांड |
19 वि शताब्दी तक यह मान्यता को '' यूनिवर्सल ट्रुथ (universal truth) '' या सनातन सत्य के तौर पे लोगो ने स्वीकार किया था। ब्रम्हांड की खाली जगह की जहा कुछ भी नहीं था वहाँ भी विज्ञानियो ने ''ईथर (ether)'' की उपस्थिति की कल्पना की थी। प्रकाश के वक्रीभवन और व्यतिकरण के प्रयोगो के आधार पर आधुनिक विज्ञान ने ''ईथर (ether)'' की थ्योरी को गलत साबित किया था।
अल्बर्ट आइन्स्टाइन |
और उसको कबर में दाल ने का काम आइन्स्टाइन ने किया था। उन्होंने सापेक्षवाद दिया था और भौतिक विज्ञान की दुनिया को फिर से ठीक कर दिया था। ''ईथर (ether)'' की संकल्पना को पुरे तौर पे मुक्ति मिल गयी थी। , परंतु आधुनिक विज्ञान कुदरत के बलो के पीछे विशिष्ठ प्रकार के कण और विशिष्ठ प्रकार के माध्यम यानिके ''फिल्ड (field)" के सिद्धान्तों का आज भी स्वीकार कर रहा है।
टाइम और स्पेस को कैसे फेब्रिक के तोर पे लिया जाता हे वो तस्वीर में देखा जा सकता हे |
स्पेस और टाइम के लिए अब ''फेब्रिक (febric)'' शब्द का उपयोग किया जाता है। ''ईथर (ether)'' आज भौतिक विज्ञान की टैक्सबुक में से गायब हो गया है।
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